एक छोटी सी कहानी छोटे गाड़ी के ड्राइवर की

दोहराम नाम का एक शहर हुआ करता था और उस शहर में खूब गाड़िया चलती बस, कारे, स्कूटर, ऑटो और एक छोटी गाड़ी। छोटी गाड़ी जिसमें सात लोगों के बैठने की जगह थी। वो छोटी गाड़ी वहां खड़ी हुआ करती जहां बस का स्टॉप था, जिस वजह से उसमें कम लोग बैठा करते। घंटों इंतजार करते हुए वो हरिद्वार हरिद्वार कहते कहते घुमा करता। लोगों को गाड़ी में बैठने के लिए कहता, बोलता की बस जितना ही किराया हैं। जब भी हरिद्वार की बस आती वो लोगों को देखता की सब उसमें बैठ रहे हैं पर मेरी गाड़ी में कोई नहीं बैठ रहा हैं। वो एक टुक लगाकर लोगो को देखता रहता कि कोई तो आएगा जो मेरी छोटी गाड़ी में बैठेगा। इसी उम्मीद में वो रोज वही खड़ा होता। कुछ लोग बैठ जाते पर बस को आते देख उतरकर उसकी ओर जाने लगते। जीवन में हर कोई संघर्ष कर रहा है रोजी रोटी कमाने के लिए, मेहनत हर कोई करता हैं। बड़ा हो या बूढ़ा, मेहनत करके जो दो वक्त की रोटी खा रहा हो उसका हमेशा सम्मान करें।


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